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Sunday, 27 May 2018

कोबरा पोस्ट के स्टिंग ऑपरेशन के दूसरे भाग में इस बार मीडिया के बड़े चैनलों ने किया शर्मसार



कोबरा पोस्ट के स्टिंग ऑपरेशन के पहले भाग में मीडिया जगत के जितने बड़े नाम सामने आए थे उसे कहीं ज्यादा बड़े और चौंकाने वाले नाम सामने आए हैं दूसरे भाग में। जिसमें टाइम्स ऑफ इंडिया, इंडिया टुडे, हिंदुस्तान टाइम्स, ज़ी न्यूज़, स्टार इंडिया, एबीपी न्यूज़, दैनिक जागरण, रेडियो वन, रेड FM, लोकमत, बिग FM, के न्यूज़, इंडिया वॉयस, द न्यू इंडियन एक्सप्रेस, भारत समाचार और हां आपका सबसे चहेती मोबाइल एप्लीकेशन Paytm
पेटीएम पर स्टिंग में जो बड़ी बात सामने आई है वो ये कि किसी खास एजेंडे को जन-जन तक पहुंचाने के लिए अब टीवी चैनलों या अख़बारों की जरूरत नहीं है। एक साधारण से मोबाइल ऐप के जरिए भी आप पलक झपकते ही वो कर सकते हैं जो मीडिया की मदद से नहीं किया जा सकता। स्टिंग में पेटीएम के बड़े अधिकारी ना केवल बीजेपी विचारधारा को स्वीकारते नजर आए बल्कि संघ के साथ कंपनी के संबंधों की भी बात सामने आ गई। यहां तक कि इस बात की पोल भी खुल गई कि पेटीएम जैसे जानी-मानी ऐप पर भी उपभोक्ताओं का डाटा सुरक्षित नहीं है।

इस मामले में एक बात जो बहुत निराश करने वाली है वो है एक मीडिया समूह द्वारा दूसरे की प्रेस आजादी पर अंकुश लगाने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाना और उसपर दिल्ली हाईकोर्ट का कोबरापोस्ट की डॉक्यूमेंट्री के प्रदर्शन पर रोक लगाना।
ये बिल्कुल वैसे ही है जैसे एक आदमी रिश्वत लेते हुए पकड़ा जाए और वो इस बात के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाए कि अगर ये ख़बर लोगों तक पहुंची तो उसकी साख खराब हो जाएगी। और कोर्ट इस पर स्टे भी दे दे।
वेब पोर्टल कोबरापोस्ट शुक्रवार, 25 मई को 3 बजे दोपहर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी इस खोजी रिपोर्ट को सार्वजनिक करने वाला था. लेकिन, गुरुवार शाम को जस्टिस वाल्मीकि जे. मेहता ने इस डॉक्यूमेंट्री को जारी करने पर एकतरफा रोक लगाने का आदेश दे दिया.

इस पूरे स्टिंग में सब कुछ निराश करने वाला नहीं है कुछ उम्मीद की किरणें भी हैं जो तारीफ के काबिल हैं जैसे बर्तमान पत्रिका और दैनिक संवाद ने एजेंडा चलाने से साफ मना कर दिया। सबसे ज्यादा तारीफ के हकदार हैं इस पूरे स्टिंग को करने वाले खोजी पत्रकार पुष्प शर्मा, जो निराशा के इस दौर में उम्मीद की किरण बनकर सामने आए हैं।

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