गुस्से में उबलकर बदला लेना आसान है लेकिन अपने दुख को दबाकर बदलाव की अपील करना हिम्मत का काम है।
जरा सोचिए एक आदमी दंगे में अपना बेटा खो देता है और उसके सामने उसके
बेटे की लाश पड़ी है तो उस समय उसके दिमाग में क्या चल रहा होगा..? जबरदस्त गुस्सा, बदले की भावना। लेकिन
फिर भी वो आदमी शांति की बात करता है बदला ना लेने की बात करता है तो इसका मतलब
इंसानियत अभी जिंदा है।
बंगाल
में रामनवमी पर दंगे हुए जो अभी भी चल रहे हैं। इन दंगों में चार लोगों की जान जा चुकी है।सैकड़ों
लोग बेघर हो चुके हैं दुकाने घर जला दिए हैं। लेकिन नेता अब भी दंगों को भड़काने
का काम कर रहे हैं।
दंगों
की भेंट चढ़े चारों में से एक था सिबतुला राशिदी...मौलाना इमदादुल राशिदी का बेटा।
मौलाना राशिदी आसनसोल की एक मस्जिद में इमाम हैं। और उनका बेटा सिबतुला 16 बरस का था। 27 मार्च की दोपहर से लापता था। बुधवार
देर रात उसकी लाश मिली। ये
देखकर इलाके मुसलमानों में जबदस्त गुस्सा था। और जब सिबतुला के घर वाले उसकी लाश
को दफनाने ईदगाह मैदान पहुंचे तो वहां हजारों की भीड़ जुट गई। कुछ लोगों बदला लेने
की बात शुरू कर दी। मौलाना राशिद को लगा मुसलमान बौखलाकर जवाबी हिंसा कर सकते
हैं।
वो भीड़ के सामने आए और उसके बाद जो कहा उसकी किसी को उम्मीद नहीं थी। उन्होंने
कहा कि अगर मेरे बेटे की मौत का बदला लेने की कोशिश की, तो मैं मस्जिद छोड़ दूंगा और ये शहर भी
छोड़ दूंगा।
मौलाना राशिद का कहना है कि मैं अमन चाहता हूं मेरा बेटा तो मुझसे छीन लिया गया है। मैं नहीं चाहता कि कोई और परिवार अपने अपनों को खोए। मैं नहीं चाहता कि कोई और घर जले। मैं भीड़ से कह चुका हूं। अगर मेरे बेटे का बदला लेने के लिए कुछ किया जाता है, तो मैं आसनसोल छोड़कर चला जाऊंगा। अगर आप लोग मुझसे प्यार करते हैं, तो आप किसी पर अपनी एक उंगली भी नहीं उठाएंगे।
वहां
मौजूद लोगों का कहना है कि जब राशिदी भीड़ के आगे खड़े होकर बोल रहे थे, तो वहां मौजूद कई लोग रोने लगे। उस समय
माहौल बहुत गमगीन था। सुनने वाले ताज्जुब में थे। कि निर्दोष बेटे को खोने वाला
बाप बदला नहीं चाहता, शांति चाहता है।
‘मौलाना राशिद की कही बात हिंदूओं और मुसलमानों को बार-बार सुननी चाहिए’
रामनवमी
के दिन बिहार, पश्चिम
बंगाल और गुजरात में भड़की सांप्रदायिक हिंसा की लपटें दूसरे राज्यों में फैलती जा
रही हैं। अब राजस्थान में भी तनाव का माहौल बन चुका है। तनावपूर्ण माहौल को देखते
हुए राज्य के बूंदी में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं।
पता
नहीं लोग ये बात समझेंगे कि दंगों में सबसे ज्यादा नुकसान अगर किसी का होता है तो
वो आम जनता है का और सबसे ज्यादा फायदा नेताओं को होता है।
लेकिन मौलाना राशिद ने इस बात को साबित कर दिया कि दंगों में सभी जानवर
नहीं हुए हैं कुछ इंसान भी हैं। और उनसे ही उम्मीद भी है कि सब ठीक हो जाएगा।
No comments:
Post a Comment