"जब तक मेरी पेंशन बहाल नहीं हो जाती, मैं इस दुनिया से जाने वाला नहीं हूं- गोपालदास नीरज
जब तक आप जाएंगे नहीं हम जागेंगे नहीं- सरकारी सिस्टम"
गोपालदास नीरज चले गए और शायद उनकी आखिरी इच्छा अधूरी ही रह गई। दुनिया से अलविदा कहने से महज़ कुछ दिनों पहले ही उन्होंने ये बात कही थी।लेकिन उन्हें कहां पता था कि ये सरकारी सिस्टम है किसी के मरने के बाद ही जागता है। जरा सोचिए कितना मजबूर रहे होंगे गोपालदास नीरज और कितनी बड़ी रही होगी उनकी मजबूरी जो एक 93 साल के बुजुर्ग को उस हालत में कि जब वो दो कदम भी ठीक से ना चल पाते हों, को पेंशन के लिए 350 किमी दूर लखनऊ जाने को मजबूर किया हो।
इतनी परेशानी उठाने के बाद गोपालदास नीरज अपनी रुकी हुई पेंशन रिलीज करवाने की गुहार लगाने के लिए सीएम योगी से मिले और जब वापस लौटे तो उसी आश्वासन के साथ ''कि दिखवाता हूं, करवाता हूं।''इससे पहले भी नीरज करीब तीन बार मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखकर यश भारती पेंशन शुरू करने की गुहार लगा चुके थे। आखिरी बार उन्हें पेंशन मार्च 2017 में मिली थी। उसके बाद सरकार ने जांच के बाद रोक लगा दी। जांच के सवाल पर नीरज का कहना था कि मैं पदमभूषण, पदम श्री से सम्मानित कवि हूं। मेरे मामले में सरकार को क्या जांच करनी है?और अगर करनी भी है तो जल्दी करे इतने महीने से जांच ही तो चल रही है।
मगर अफसोस गोपालदास नीरज पेंशन की आस दिल में लिए ही चले गए और सिस्टम का तमाशा देखिए उनके जाते ही सरकार ने करीब डेढ़ साल से जांच के नाम पर अटकी यश भारती पेंशन से रोक हटा ली और कुछ नए नियम और 50 हजार की जगह 25 हजार राशि के साथ फिर से शुरू कर दी। साथ ही उनके नाम पर हर साल 5 नवोदित साहित्यकारों को पुरस्कार देने की घोषणा की है।
ये जांच नीरज जी के जीते-जी भी हो सकती थी लेकिन अगर हो जाती तो ये कैसे साबित होता कि ये सरकारी सिस्टम है किसी के जाने के बाद ही जागता है।
मान-पत्र मैं नहीं लिख सका
राजभवन के सम्मानों का...
मगर अफसोस गोपालदास नीरज पेंशन की आस दिल में लिए ही चले गए और सिस्टम का तमाशा देखिए उनके जाते ही सरकार ने करीब डेढ़ साल से जांच के नाम पर अटकी यश भारती पेंशन से रोक हटा ली और कुछ नए नियम और 50 हजार की जगह 25 हजार राशि के साथ फिर से शुरू कर दी। साथ ही उनके नाम पर हर साल 5 नवोदित साहित्यकारों को पुरस्कार देने की घोषणा की है।
ये जांच नीरज जी के जीते-जी भी हो सकती थी लेकिन अगर हो जाती तो ये कैसे साबित होता कि ये सरकारी सिस्टम है किसी के जाने के बाद ही जागता है।
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