देश में एक नई और गलत प्रथा शुरू होती जा रही
है….ये प्रथा है
आरोपियों को बचाने की प्रथा…आरोपियों
को बचाने के लिए उनके समर्थन में रैली निकालने और प्रदर्शन करने की प्रथा….कठुआ में 8 साल की बच्ची के साथ हुई
हैविनयत के बाद आरोपियों के समर्थन में तिरंगे के साथ रैली निकाली गई और रैली में
वंदे मातरम के नारे भी लगाए गए…ठीक
वैसे ही उन्नाव में भी आरोपी बीजेपी विधायक के समर्थन में रैली निकाली गई…. इस दौरान रैली में लोग बड़े-बड़े बैनर
लिए हुए थे, जिन
पर लिखा था, ‘हमारा
विधायक निर्दोष है।’
रैली में महिलाओं से लेकर सैकड़ों पुरुषों ने
बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया…जिसका
नेतृत्व नगर पंचायत अध्यक्ष अनुज कुमार दीक्षित ने किया। दीक्षित ने इस बारे कहा, “यह हमारे विधायक को बदनाम करने की
राजनीतिक साजिश है।
कठुआ मामले में भी हिंदू एकता मंच ने आरोपियों
के समर्थन में रैली निकाली थी जिसमें जम्मू-कश्मीर सरकार में बीजेपी के दो मंत्री
चौधरी लाल सिंह और चंद्र प्रकाश गंगा भी इस रैली का हिस्सा थे।
यहां बड़ा सवाल ये उठता है कि अगर बीजेपी
नेताओं को अपनी पुलिस पर भरोसा नहीं है तो फिर उसके मंत्री महबूबा मुफ्ती की सरकार
में क्या कर रहे हैं। हर किसी को पुलिस की जांच पर शक होता है, हिन्दुस्तान भर की पुलिस की
विश्वसनीयता भी यही है तो भी क्या भीड़ तय करेगी कि वह क्या करे और उसके पीछे
हिन्दू मुस्लिम का तर्क खड़ा किया जाएगा? क्या एक आठ साल की बच्ची की हत्या और बलात्कार के आरोपियों के पक्ष
में भारत माता की जय के नारे लगेंगे?
अगर इसी तरह आरोपियों और अपराधियों को बचाने के लिए रैली निकाली जाती रही तो हो सकता है कि आरोपी बच जाएं लेकिन एक समाज के तौर हम आने वाली पीढ़ियों के दोषी तो बन ही जाएंगे जिसके लिए वे हमें शायद कभी माफ ना कर पाएं....
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