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Saturday, 28 April 2018

अब जब आप लाल किला घूमने जाएंगे तो शायद आपसे पूछा जाए WOULD YOU LIKE.....



सरकारें निजीकरण को विकास का पैमाना मानती आई हैं। उन्हें लगता है कि हर चीज का विकास निजी हाथों में पहुंच कर ही होता हैशायद इसीलिए देश में पहली बार किसी ऐतिहासिक इमारत को निजी हाथों में पहुंचाने का काम किया गया है। हालांकि अभी लालकिले को 5 साल के लिए दिया गया है लेकिन अक्सर इस तरह के बदलाव पिछले दरवाजे से ही होते हैं। कहा जा रहा है कि सरकार ने लालकिले को नए सिरे से विकसित करने के लिए ये कदम उठाया है। लेकिन पुरानी और ऐतिहासिक चीजों को फिर से विकसित करने की नहीं संरक्षण की जरूरत होती है..और संरक्षण का काम तो सरकार खुद कर ही सकती है। और ये सरकार की गोद लेने वाली योजना तो समझ से परे है कौन आदमी, कौन सी कंपनी किसी चीज को गोद लेने के लिए पैसे देती है? फिर चाहे वो प्रधानमंत्री के कहने पर गांव गोद लेने वाले सांसद हों या बच्चे को गोद लेने की चाह रखने वाले दंपति। इसकी जगह अगर प्रधानमंत्री देश के बड़े उद्योग घरानों के मालिकों को लालकिले और ताजमहल जैसी इमारतों को गोद लेने की अपील करते और राजस्थान में भामाशाहोंके सम्मान की तर्ज पर उन सभी का लाल किले की देखभाल के लिए उसी लाल किले से सम्मान करते। लेकिन यहां सरकार ने डालमिया से 25 करोड़ की डील की क्योंकि मौजदा सरकार व्यापार में ज्यादा भरोसा करती है और डालमिया ग्रुप के सीईओ महेंद्र सिंघी ने कहा भी है कि हर पर्यटक हमारे लिए एक कस्टामर होगा

खैर अब जो होगा वो ये कि अब आने वाले 15 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी एक ठेके पर दी हुई इमारत से देश को संबोधित करेंगे और विकसित करने के नाम पर लालकिले में पर्यटकों को कंपनी कुछ सुविधाएं देगी और उसकी मनमानी कीमत वहां आने वाले पर्यटकों से वसूली जाएगी। ठीक वैसे ही जैसे निजी बैंक वसूलते हैं जी सर, कैसे हैं सर, WOULD YOU LIKE A CUP OF TEA  टाइप मीठी बातों के लिए और इसके बदले में एक बचत खाता 5000 रुपये से खोला जाता है और वही बचत खाता सरकारी बैंक में 1000, 500 या जीरो बैलेंस पर ही खुल जाता है। बस सरकारी बैंक में कोई आपका नकली मुस्कराहट के साथ स्वागत करने के लिए नहीं होता। हो सकता है कुछ दिनों बाद जब आप लालकिला घूमने जाएं तो कोई मुस्कराता हुआ चेहरा आप से पूछे WOULD YOU LIKE.....

Friday, 27 April 2018

आप रेप के आरोपी हैं? कोई बात नहीं हम आपके समर्थन में रैली निकालेंगे और आपको बचा लेंगे..




देश में एक नई और गलत प्रथा शुरू होती जा रही है….ये प्रथा है आरोपियों को बचाने की प्रथाआरोपियों को बचाने के लिए उनके समर्थन में रैली निकालने और प्रदर्शन करने की प्रथा….कठुआ में 8 साल की बच्ची के साथ हुई हैविनयत के बाद आरोपियों के समर्थन में तिरंगे के साथ रैली निकाली गई और रैली में वंदे मातरम के नारे भी लगाए गएठीक वैसे ही उन्नाव में भी आरोपी बीजेपी विधायक के समर्थन में रैली निकाली गई…. इस दौरान रैली में लोग बड़े-बड़े बैनर लिए हुए थे, जिन पर लिखा था, ‘हमारा विधायक निर्दोष है।
रैली में महिलाओं से लेकर सैकड़ों पुरुषों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लियाजिसका नेतृत्व नगर पंचायत अध्यक्ष अनुज कुमार दीक्षित ने किया। दीक्षित ने इस बारे कहा, “यह हमारे विधायक को बदनाम करने की राजनीतिक साजिश है।

कठुआ मामले में भी हिंदू एकता मंच ने आरोपियों के समर्थन में रैली निकाली थी जिसमें जम्मू-कश्मीर सरकार में बीजेपी के दो मंत्री चौधरी लाल सिंह और चंद्र प्रकाश गंगा भी इस रैली का हिस्सा थे।

यहां बड़ा सवाल ये उठता है कि अगर बीजेपी नेताओं को अपनी पुलिस पर भरोसा नहीं है तो फिर उसके मंत्री महबूबा मुफ्ती की सरकार में क्या कर रहे हैं। हर किसी को पुलिस की जांच पर शक होता है, हिन्दुस्तान भर की पुलिस की विश्वसनीयता भी यही है तो भी क्या भीड़ तय करेगी कि वह क्या करे और उसके पीछे हिन्दू मुस्लिम का तर्क खड़ा किया जाएगा? क्या एक आठ साल की बच्ची की हत्या और बलात्कार के आरोपियों के पक्ष में भारत माता की जय के नारे लगेंगे?

अगर इसी तरह आरोपियों और अपराधियों को बचाने के लिए रैली निकाली जाती रही तो हो सकता है कि आरोपी बच जाएं लेकिन एक समाज के तौर हम आने वाली पीढ़ियों के दोषी तो बन ही जाएंगे जिसके लिए वे हमें शायद कभी माफ ना कर पाएं....