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Sunday, 5 March 2017

कमान में लौटते तीर और गुरमेहर की आजादी...

एक कहावत है कि कमान से निकला तीर और मुंह से निकली बात कभी वापस नहीं आती...तीर का तो पता नहीं लेकिन मुंह से निकले शब्द अब वापस होने लगे हैं...गुरमेहर के समर्थन में सहवाग के लिए बोले गए कड़े शब्द जावेद अख्तर ने वापस ले लिए हैं...वहीं सहवाग भी अब इस मुद्दे पर बैकफुट पर खेलते नजर आ रहे हैं...जो आते ही छक्का मारने की कोशिश में आउट हो गए थे...उन्होंने कहा है कि गुरुमेहर को लेकर दिया गया उनका बयान सिर्फ मजाक था।

दरअसल गुरमेहर पर सभी ने सहवाग की तरह ही बिना सोचे समझे कमेंट करना शुरू कर दिया था....मेरे पिता को पाकिस्तान ने नहीं जंग ने मारा है’…इस बात को समझना क्या इतना मुश्किल है...जिन लोगों ने गुरमेहर के विरोध में सोशल मीडिया की सभ्य भाषा में देशप्रेम दिखाया था...काश वो लोग एक बार उस वीडियो को पूरा देख लेते...जिसमें गुरमेहर बिना बोले तख्तियों के माध्यम से शांति की बात कर रही है...तो शायद वो भी भारत और पाकिस्तान के बीच शांति के अभियान में शामिल हो जाते...



इस वीडियो में गुरमेहर बताती हैं कि वो जब 2 साल की थीं तब उनके पिता कारगिल युद्ध में शहीद हो गए थे..तब से वो हर बुर्के वाली महिला से नफरत करने लगी थीं..एक बार तो उसने एक मुस्लिम महिला को मारने की कोशिश भी की थी..तब गुरमेहर की बढ़ती नफरत को कम करने के लिए उसकी मां ने समझाया कि उसके पिता को पाकिस्तान ने नहीं बल्कि युद्ध ने मारा है...ये बात गुरमेहर के दिलो दिमाग में घर कर गई..और तबसे उसने शांति के लिए अभियान शूरू कर दिया...इस अभियान में गुरमेहर का साथ दिया एक पाकिस्तानी युवक ने...दोनों देशों में शांति की इसी कोशिश के लिए गुरमेहर को इतनी गालियां दी गईं...युद्ध के बजाय शांति की बात करना कब से गलत हो गया है..पीएम मोदी किसी को बिना बताए अचानक पाकिस्तान घूम आते हैं..ऐसे में सवाल ये कि क्या वो पाकिस्तान जंग की बात करने गए थे...या जंग कब शुरू करनी है ये पूछने गए थे...नहीं शायद वे भी रिश्ते बेहतर करने की कोशिश में गए थे....गुरमेहर को समर्थन करने वालों को पाकिस्तान भेजने वाले हरियाणा के मंत्री जी बताएंगे कि दोनों देशों के बीच शांति के सबसे बड़े हिमायती अटल बिहारी वाजपेयी को वे कहां भेजेंगे...आज नफरत की बात करने वालों को वाजेपेयी की ही एक कविता की कुछ पंक्तियां फिर से याद करने की और हमेशा याद रखने की जरूरत है-

भारत-पाकिस्तान पड़ोसी, साथ-साथ रहना है
प्यार करें या वार करें दोनों को ही सहना है
तीन बार लड़ चुके लड़ाई कितना महंगा सौदा है
रूसी बम हों या अमरीकी, खून एक बहना है

गुरमेहर ने शांति के लिए शुरू किया गया अपना अभियान बंद कर दिया है...और वो दिल्ली छोड़कर चली गई हैं..ये हार गुरमेहर की नहीं है ये हार आपकी है हमारी है हम सब की है...क्योंकि देश के कुछ लोगों ने बोलने की आजादी के अधिकार का क़त्ल किया...देश के गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने भी गुरमेहर की बोलने की आजादी को दिमाग की गंदगी करार दिया था...रिजिजू ने एक बार भी एबीवीपी की मारपीट की आलोचना नहीं की....आए दिन यूनिवर्सिटी में एबीवीपी छात्रों द्वारा मारपीट की ख़बरें आती रहती हैं और फिर बहस एबीवीपी की हिंसा से दूर हटकर कश्मीर, जेएनयू और देशद्रोह पर आकर खत्म हो जाती है..और कुछ दिनों बाद एक बड़ा सा तिरंगा लेकर RSS और ABVP के लोगों द्वारा तिरंगा यात्रा निकाली जाती है..और उस तिरंगे के नीचे दब जाती है..एबीवीपी की हिंसा उसकी गुंडागर्दी...RSS का तिरंगा प्रेम भी पिछले कुछ सालों में अचानक से बढ़ा है...ये वही RSS है जिसके नागपुर कार्यायल में आजादी के बाद कई सालों तक तिरंगा नहीं फराया गया...पहली बार 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी ने नागपुर में तिरंगा फहराया था..दरअसल तिरंगा आजादी का प्रतीक है..और आज उसी आजादी को तिरंगा दिखाकर दबाया जा रहा है...शायद गुरमेहर ने चुप होने का फैसला लेकर ठीक ही किया क्योंकि जब हर तरफ नारों का शोर हो...तब इंसान चुप रहकर भी बहुत कुछ बोल जाता है...शायद इसीलिए कथाकार शैवाल ने कहा है-

क्रांति महज़ इतना नहीं की उठालो शस्त्र या बोल दिया नारा
चुप रहो और बोलो अपनी चुप्पी में
लड़ो पर प्रेम करो सारी सृष्टि से सारे समुदाय से
क्योंकि समूह का प्रेम ही क्रांति है...

10 comments:

Vibek Dil Se said...

बहुत खूब लिखे

Unknown said...

बढ़िया

Unknown said...

बढ़िया

Unknown said...

शाबाश...

Unknown said...

Gud going...well said..keep it up..

Unknown said...

Gud going...well said..keep it up..

Unknown said...

Gud Saurabh....keep it up

Unknown said...

शब्दों में धार है... मानो तलवार है... हर शोर पर वार है... आपकी लेखनी लाजवाब है...
☺☺😊💐

Unknown said...

आपके अगले लेख का इंतजार है...

रूह said...

बेहद खुब लिखा है आपने