डियर "हिमांशु" ये जो मैं लिख रहा हूं वो मुझे सावर्जनिक तौर पर नहीं लिखना चाहिए लेकिन तुम्हारी उम्र के ना जाने कितने बच्चों के मन में नफरत भरी जा रही है। तुम जिस RSS के स्कूल में पढ़ाई कर रहे हो या की है। मैं भी वहां कुछ साल पढ़ा हूं। वहां कई चीजें सिखाई जाती हैं कुछ अच्छी, कुछ बुरी तो अब तुम्हारे ऊपर है कि तुम वहां से क्या सीखते हो।वहां से किसी धर्म और उसके लोगों के प्रति नफरत मत सीखो, सीखना ही है तो उनका अनुशासन सीखो।
तुम पढ़ाई में बहुत होशियार हो अच्छा तर्क करते हो लेकिन किसी भी चीज़ का दूसरा पहलू भी जानने की कोशिश करो। इसलिए खुद को इन नफरतों से दूर रखो और सकारात्मक रखो अब मैं तुमसे और क्या कहूं बस इतना ही कहूंगा कि खूब पढ़ो और फिर चीजों को समझने की कोशिश करो। इस रंगीन दुनिया को अपनी नजरों से देखो दूसरों की नज़रों से नहीं। अगर दूसरा कुछ गलत बताए तो सवाल करो? एक बार नहीं बार-बार करो। दूसरे धर्म के प्रति इतनी नफरत दिल में भरकर तुम्हें कुछ नहीं मिलेगा। भले ही अपने दिल और दिमाग के सारे दरवाजे बंद कर लो लेकिन एक खिड़की हमेशा खुली रखना जहां से ताजी हवा और नए विचार आ सकें। अभी तुम्हारी उम्र सीखने की है अभी से हिंदू-मुस्लिम में ना बंटो।ऩफरत इंसान के दिमाग को कुंद कर देती है।और बस एक बार अपने आस-पास के लोगों को देखो क्या उनके दिलों में भी एक दूसरे के लिए इतनी नफरत है जितनी नेताओं द्वारा बताई जा रही है और सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही है।